सड़ा चावल और बीमार मासूम—जब सरकार नाकाम हुई, तब यथासंभव बना सहारा

छातापुर विधानसभा अंतर्गत ग्राम पंचायत महमदगंज के उत्क्रमित मध्य विद्यालय शंकरपट्टी में उस दिन अफरा-तफरी मच गई, जब मध्याह्न भोजन में परोसे गए सड़े चावल खाने के बाद 100 से अधिक बच्चे गंभीर रूप से बीमार हो गए। पेट दर्द, उल्टी और बेहोशी जैसी शिकायतें सामने आने लगीं, जिससे पूरे क्षेत्र में हड़कंप मच गया।

जहां एक ओर सरकार और प्रशासन इस मानवता को शर्मसार कर देने वाली लापरवाही पर मौन साधे बैठा था, वहीं “यथासंभव” ने तत्परता से कदम उठाया और बचाव कार्य में अपनी जिम्मेदारी निभाई

यथासंभव की त्वरित प्रतिक्रिया: बच्चों को दिया जीवनदान

इस घटना की जानकारी मिलते ही यथासंभव के संरक्षक आदरणीय श्री संजीव मिश्रा जी ने तत्काल टीम को निर्देश दिया कि सभी पीड़ित बच्चों को तुरंत इलाज दिलाया जाए।

यथासंभव के स्वयंसेवकों ने बीमार बच्चों को तत्काल एंबुलेंस व्यवस्था के जरिए पूर्णिया स्थित पैनोरमा हॉस्पिटल में भर्ती कराया। वहां सभी बच्चों का पूर्ण रूप से निःशुल्क इलाज सुनिश्चित किया गया।

संजीव मिश्रा जी स्वयं अस्पताल पहुंचे, बच्चों का हाल जाना और डॉक्टरों को आवश्यक निर्देश दिए कि कोई भी बच्चा इलाज से वंचित न रहे।

“जब सरकार ने छोड़ा, तब यथासंभव ने थामा हाथ”

यह घटना यह दिखाती है कि:

  • बच्चों के जीवन से खिलवाड़ करने वालों के खिलाफ कोई सख्त कार्रवाई नहीं होती।
  • करोड़ों की प्रचार-प्रसार वाली सरकार बच्चों को साफ खाना तक नहीं दे पा रही
  • शासकीय ढांचे में जवाबदेही की भारी कमी है।

संजीव मिश्रा जी का बयान:

“यह सिर्फ एक लापरवाही नहीं, बल्कि बच्चों के जीवन के साथ खेल है। अगर हम आज नहीं चेते, तो कल शायद बहुत देर हो जाएगी। यथासंभव का संकल्प है कि ऐसी हर घटना पर संवेदनशीलता से कार्य किया जाएगा और जरूरतमंद को हर संभव मदद दी जाएगी।”

समाजसेवा का नया अध्याय – यथासंभव

2020 में कोविड काल के दौरान स्थापित ‘यथासंभव’, आज बिहार के सुदूर गांवों में उम्मीद की किरण बनकर उभरा है। शिक्षा, स्वास्थ्य और महिला सशक्तिकरण जैसे क्षेत्रों में लगातार काम कर रही यह संस्था अब तक 10,000+ परिवारों की सहायता कर चुकी है

इस हालिया घटना ने एक बार फिर यह साबित किया कि जब सरकारी तंत्र असहाय होता है, तब जनसंगठनों की भूमिका और भी महत्वपूर्ण हो जाती है

हमारा सवाल सरकार से:

  • क्या बच्चों के जीवन की कोई कीमत नहीं है?
  • क्या यह आपका ‘सुशासन’ है जिसमें मासूमों को सड़ा भोजन परोसा जाता है?
  • क्या विकास का यह मॉडल है जिसमें गरीब और दलित बच्चों की थाली में जहर परोसा जाता है?

यथासंभव की अपील

यदि आप भी इस आंदोलन से जुड़ना चाहते हैं,
यदि आप भी समाज को बेहतर बनते देखना चाहते हैं,
तो “यथासंभव” के स्वयंसेवक बनें

👉 संपर्क करें:
📞 99425 23425 | 🌐 www.yathasambhav.org
📍 कार्यालय: Bhatta Bazar, Purnia, 854301

 

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