महिला सशक्तिकरण की दिशा में यथासंभव काउंसिल की पहल

सुपौल, बिहार: महिला सशक्तिकरण के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए यथासंभव काउंसिल, एक अग्रणी NGO in Bihar, ने बसंतपुर प्रखंड के सातनपट्टी पंचायत में महिला संवाद कार्यक्रम का आयोजन किया। यह कार्यक्रम महिलाओं के लिए सामाजिक, आर्थिक और शैक्षिक मुद्दों पर खुलकर चर्चा करने का एक मंच था।

महिला भागीदारी से समाज में बदलाव

कार्यक्रम की अध्यक्षता यथासंभव काउंसिल के संरक्षक और प्रसिद्ध समाजसेवी श्री संजीव मिश्रा ने की। उन्होंने स्थानीय महिलाओं से संवाद स्थापित कर महिला नेतृत्व, स्वास्थ्य, शिक्षा, रोजगार, पलायन, खेल, जल-जीवन-हरियाली और सामाजिक चेतना जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर विचार साझा किए।

उन्होंने कहा:

महिलाओं की भागीदारी से ही समाज में व्यापक बदलाव संभव है।

यह कथन कार्यक्रम की मूल भावना को दर्शाता है — कि Social Empowerment केवल पुरुषों का कार्य नहीं, बल्कि महिलाओं की बराबर भागीदारी से ही समाज आगे बढ़ सकता है।

महिला सम्मान और सदस्यता

इस कार्यक्रम के दौरान महिला विंग की 6 सक्रिय महिलाओं को यथासंभव काउंसिल की सदस्यता दी गई और सम्मान-पत्र एवं शिल्ड देकर सम्मानित किया गया। इससे न केवल उन महिलाओं को पहचान मिली, बल्कि अन्य महिलाओं को भी समाजसेवी कार्यों से जुड़ने की प्रेरणा मिली।

प्रमुख विषय जिन पर हुई चर्चा:

  • महिला शिक्षा और स्वावलंबन

  • स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार

  • स्थानीय रोजगार और हुनर विकास प्रशिक्षण

  • महिला पलायन की समस्या और समाधान

  • खेल व सांस्कृतिक भागीदारी

  • पर्यावरण संरक्षण में महिला भूमिका

यह कार्यक्रम महिला विकास योजनाओं और ग्रामीण विकास के दृष्टिकोण से अत्यंत प्रभावशाली रहा।

यथासंभव काउंसिल – बिहार की समाजसेवी संस्था

यथासंभव काउंसिल, एक सक्रिय NGO in Bihar, शिक्षा, स्वास्थ्य, महिला कल्याण, युवा विकास और आपदा राहत जैसे क्षेत्रों में कार्य कर रही है। इस NGO का उद्देश्य है –
“हर संभव मदद, हर चेहरे पर मुस्कान।”

सुपौल में आयोजित यह NGO कार्यक्रम महिला सशक्तिकरण की दिशा में एक ठोस प्रयास साबित हुआ है।

निष्कर्ष: संवाद से समृद्धि की ओर

महिला संवाद कार्यक्रम न केवल एक आयोजन था, बल्कि एक आंदोलन की शुरुआत थी, जिसमें महिला कल्याण, सामाजिक चेतना, और नेतृत्व क्षमता को विकसित करने का उद्देश्य था। इस प्रकार की पहलें अगर बिहार के हर पंचायत स्तर पर हों, तो सामाजिक सुधार और ग्रामीण विकास की गति और भी तेज हो सकती है।

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